आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
Janm Divasotsav Kaise Manaaaen - a Hindi book by Sriram Sharma Acharya
हमें अपनी वास्तविक स्थिति समझनी चाहिए। बुद्धिमान् समझे जाने वाले मनुष्य की सबसे बड़ी मूर्खता यही एक है कि वह अपनी वस्तुस्थिति समझने में भूल करता रहता है। विचारने की बात है कि जब सभी प्राणी भगवान् के पुत्र हैं, वह सबका पिता है-सब को समान प्यार करता है-न्यायकारी, निष्पक्ष और समदर्शी है, तो फिर मनुष्य को अधिक सुविधायें क्यों दीं? जब कि सृष्टि के अन्य समस्त प्राणी उससे वंचित हैं। कोई मनुष्य पिता जब अपने बच्चों को लगभग समान सुविधा देता है तब भगवान् अपनी सन्तान को ऐसी स्थितियों में क्यों रखता, जिसमें जमीन- आसमान का अन्तर है? इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए बैंक चपरासी तथा बैंक मैनेजर की स्थिति को समझना होगा। मैनेजर को बैंक अधिक वेतन और अधिक सुविधायें इसलिए देती है ताकि वह अधिक बड़ी जिम्मेदारी को ठीक तरह निवाह सके। लाखों रुपया बैंक मैनेजर के दस्तखतों से क्षण भर में इधर-उधर हो सकता है पर वह अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह निवाहने की योग्यता सिद्ध करता है, इसी से ऊँचा पद एवं ऊँचा वेतन प्राप्त करता है। पुलिस सुपरिन्देण्डेन्ट कलक्टर आदि अफसरों के हाथ में बड़े अधिकार रहते हैं। वे उन अधिकारों को स्वार्थपरता की पूर्ति के लिए स्वच्छन्दतापूर्ण उपयोग करने लगें तो संकट उत्पन्न हो जाय। बैंक मैनेजर सारे खजाने को अपनी निज की सम्पत्ति मान ले और उसे स्वच्छन्दतापूर्वक खर्च कर डाले तो मुसीबत खड़ी हो जाय।
जन्मदिवस उत्सव कैसे मनायें
अनुक्रम
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